
रूस की कोरोना वैक्सीन संदेह के घेरे में, 38 लोगों पर ट्रायल में 144 तरह के साइडइफेक्ट
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) समेत दुनियाभर के वैज्ञानिकों ने रूसी वैक्सीन स्पूतनिक-वी (sputnik-v) पर गंभीर सवाल खड़े किये हैं।
डेली मेल की एक खबर के मुताबिक, ट्रायल के नाम पर 42 दिन में मात्र 38 वॉलंटियर्स को ही इस वैक्सीन की डोज दी गई थी। इसके आलावा सामने आया है कि ट्रायल के तीसरे चरण पर रूस कोई जानकारी देने के लिए तैयार नहीं है, WHO ने भी ये सवाल उठाया है। रूसी सरकार का दावा है कि हल्के बुखार के अलावा कोई साइड इफेक्ट नहीं दिखे, जबकि दस्तावेज बताते हैं कि 38 वॉलंटियर्स में 144 तरह के साइड इफेक्ट देखे गए हैं। ट्रायल के 42 वें दिन भी 38 में से 31 वॉलंटियर्स इन साइडइफेक्ट से परेशान नज़र आया रहे थे। तीसरे ट्रायल में क्या हुआ इसकी जानकारी तो दस्तावेजों में दी ही नहीं गयी।
सबसे बड़ा सवाल ये है कि रूस ने वैक्सीन से जुड़ी जानकारियां अभी तक WHO के साथ साझा नहीं की हैं इसलिए संगठन ने शक जाहिर किया है कि रूस ने वैक्सीन बनाने के लिए तय दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया है और इसलिए वह जानकारी नहीं देना चाहता। रूस का दावा है कि वैक्सीन ट्रायल के जो नतीजे सामने आए हैं उनमें बेहतर इम्युनिटी विकसित होने के प्रमाण मिले हैं। किसी वॉलंटियर में निगेटिव साइड इफेक्ट नहीं देखने को मिले हैं।
हालांकि, सच ये हैं कि जिन लोगों पर इस वैक्सीन का ट्रायल हुआ उनमें बुखार, शरीर में दर्द, शरीर का तापमान बढ़ना, जहां इंजेक्शन लगा, वहां खुजली होना और सूजन जैसे साइडइफेक्ट स्पष्ट नज़र आए। इसके अलावा शरीर में ऊर्जा महसूस न होना, भूख न लगना, सिरदर्द, डायरिया, गले में सूजन, नाक का बहना जैसे साइड इफेक्ट कॉमन थे।
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के प्रोफेसर फ्रेंकॉयज बैलक्स कहते है, रशिया का ऐसा करना शर्मनाक है। यह बेहद घटिया फैसला है। ट्रायल की गाइडलाइन का नजरअंदाज करके वैक्सीन को बड़े स्तर पर लोगों को देना गलत है। इंसान की सेहत पर इसका गलत प्रभाव पड़ेगा. जर्मनी के स्वास्थ्य मंत्री जेंस स्पान के मुताबिक, रशियन वैक्सीन की पर्याप्त जांच नहीं की गई है। इसे लोगों को देना खतरनाक साबित हो सकता है। वैक्सीन सबसे पहले बने इससे ज्यादा जरूरी है यह सुरक्षित हो।
बता दें कि खुद रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने माना है कि जब उनकी बेटी ने वैक्सीन का शॉट लिया तो उसे भी बुखार हो गया था लेकिन वह जल्द ही ठीक हो गयी। पुतिन ने दावा किया कि मेरी बेटी के शरीर में एंटीबॉडीज बढ़ी हैं। हालांकि इस दावे को भी सच साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं दिया गया है। रूस ने अब तक वैक्सीन के जितने भी ट्रायल किए हैं, उससे जुड़ा साइंटिफिक डाटा पेश नहीं किया।
तीसरे चरण का ट्रायल किया है या नहीं, इस पर भी संशय है। WHO की प्रवक्ता क्रिस्टियन लिंडमियर पहले ही कह चुकीं हैं कि तीसरे चरण का ट्रायल किए बगैर ही वैक्सीन का मास वैक्सीनेशन के लिए आगे बढ़ा दिया जाता है तो ये खतरनाक साबित हो सकता है। रूस ने वैक्सीन से जुड़े सभी ट्रायल सिर्फ 42 दिन में ही पूरे कर लिए हैं।
दुनिया भर में जारी वैक्सीन के ट्रायल से संबंधित डेटा रोज़ शोध कर रहीं टीमें सार्वजनिक कर रहीं हैं। WHO को इस टीमों की प्रगति की पल-पल की जानकारी है लेकिन रूस ने ऐसा नहीं किया है। सिर्फ रूस के रक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि वैक्सीन सुरक्षित है, इसके पक्ष में कोई डेटा भी नहीं दिया गया।
WHO ने कहा है कि रूस ने वैक्सीन बनाने के लिए तय दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया है, ऐसे में इस वैक्सीन की सफलता और सुरक्षा पर भरोसा करना मुश्किल है। वैक्सीन उत्पादन के लिए कई गाइडलाइंस बनाई गई हैं, जो टीमें भी ये काम कर रहीं हैं, उन्हें इसका पालन करना ही होगा। WHO ने अपनी वेबसाइट पर क्लीनिकल ट्रायल से गुजर रहीं 25 वैक्सीन की लिस्ट दी है, जबकि 139 वैक्सीन अभी प्री-क्लीनिकल स्टेज में हैं।
रूसी सरकार और गामालेया नेशनल रिसर्च सेंटर ने वैक्सीन के साइड इफेक्ट पर अलग-अलग बात कही है। सरकार कह रही ट्रायल में अब तक कोई साइडइफेक्ट नहीं दिखा जबकि गामालेया नेशनल रिसर्च सेंटर ने कहा है कि इससे बुखार आएगा और वह पैरासिटामोल लेने से ठीक हो जाएगा। उधर रशियन न्यूज एजेंसी फोटांका का दावा है कि वॉलंटियर्स के शरीर में दिखने वाले साइडइफेक्ट की लिस्ट लंबी है।
दस्तावेजों के मुताबिक, 38 वॉलंटियर्स में 144 तरह के साइड इफेक्ट देखे गए हैं। ट्रायल के 42 वें दिन भी 38 में से 31 वॉलंटियर्स इन साइडइफेक्ट से जूझ रहे हैं। इसमें 27 तरह के साइडइफेक्ट ऐसे भी हैं जिन पर बात ही नहीं की गयी। इसके आलावा पुतिन ने दावा किया है कि क्सीन का डोज लेने के बाद लोगों के शरीर में काफी मात्रा में एंटीबॉडीज बनीं लेकिन दस्तावेजों में कहा गया है कि एंटीबॉडीज औसत स्तर से भी कम बनीं थीं।
न्यूज़ डेस्क